समाज मे ऐसे योद्धाओं की हमें आपको आवश्यकता बार बार पङती है लेकिन ऐसे लोग हर बार नहीं मिलते हैं
मीर शहनवाज
दरभंगा। एक उर्दु के शिक्षक की मौत अहले सुबह हो गई बुधवार को बहुआरा बुजुर्ग गांव मे अपने आवास पर उक्त शिक्षक ने अंतिम सांस ली इनके मौत से शिक्षा जगत मे एक शोक की लहर दौङ गई शिक्षकों मे शोक का माहौल है वहीं पूरा परिवार शोकाकुल है। शिक्षा जगत मे इनके द्वारा किये गये कार्य को लोग सदा याद रखेंगे ग्रामीणों की माने तो शिक्षा की अलख जगाने मे इनका भी योगदान बहुत सराहनीय रहा। डिजिटल युग मे भी मास्टर साहब अपने गांव बहुआरा बुजुर्ग से तीन से चार किलोमीटर का सफर तय कर अपने स्कूल कनौर तक साइकिल से बच्चों को पढ़ाने जाते थे। इनकी चर्चा चहुओर थी समय पर स्कूल आना हो या बच्चों को पढ़ाना सभी कार्यों मे इनकी भूमिका महत्त्वपूर्ण होती थी। और यह सदैव अपने कार्यों को लेकर उत्सुक रहते थे बच्चों को नई उर्जा कैसे मिलती है कैसे उसका विकास होगा सभी बातों पर मास्टर साहब ज्यादा ध्यान देते थे। यही वजह है की सभी के दिलों पर राज कर रहे थे। कनौर स्थित मध्य विद्यालय कन्या के उर्दू शिक्षक थे मो. बदरुदोज्जा इनके निधन के बाद अचानक सुबह पूरे क्षेत्र मे शोक की लहर दौड गई! असामयिक निधन पर सिंहवाङा बीईओ अशोक कुमार मिश्र की अध्यक्षता मे सिमरी बीआरसी के प्रांगण मे शोक सभा का आयोजन कर आत्मा के शांति के लिए दो मिनट का मौन रखा गयाl इस दुखद क्षण मे बीईओ ने कहा की लोकप्रिय शिक्षक के असमय चले जाने से शिक्षा जगत के लिए यह एक अपूर्णीय क्षति हुई है.जिसका भविष्य में भरपाई नहीं किया जा सकता है। इस शोक सभा मे संघ के प्रखंड अध्यक्ष प्रणय कुमार, अमित पांडेय, संजीत राय,रामाशंकर प्रसाद गौतम, विकास पाठक, चन्देश्वर महतो, शमीम प्रवेज, ईरशाद एलाही, नरेंद्र कुमार, विनय कुमार, निखिल, सुरेंद्र कुमार,अनील पाठक आदि मौजूद थे। शिक्षक प्रदीप कुमार मरांडी बताते हैं की समाज मे ऐसे योद्धाओं की हमें आपको आवश्यकता बार बार पङती है लेकिन ऐसे लोग हर बार नहीं मिलते हैं।