हिन्दी तेरे जलवे बिखरें हैं
चारों ओर दिशाओं में|
कभी कवियों के विचारों
कभी इन किताबों में ||
तेरे चाहने वाले की
यहाँ कोई कमी नहीं |
तु जगमगाती रहती है
हर एक चाँद सितारों में ||
डाॅ. पुनीता त्रिपाठी
महराजगंज उ.प्र.
हिन्दी तेरे जलवे बिखरें हैं
चारों ओर दिशाओं में|
कभी कवियों के विचारों
कभी इन किताबों में ||
तेरे चाहने वाले की
यहाँ कोई कमी नहीं |
तु जगमगाती रहती है
हर एक चाँद सितारों में ||
डाॅ. पुनीता त्रिपाठी
महराजगंज उ.प्र.