हिन्दी है सम्मान देश का

सावन के जैसी बरसती रहेगी।


फूलो के जैसी महकती रहेगी।


है शान हिन्दी मेरे वतन की,


निखरती रही है सँवरती रहेगी।


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हिन्दी है अभिमान देश का।


हिन्दी है सम्मान देश का।


काम करे सब हिन्दी में अब,


और बढ़ाये मान देश का।


 


बलराम निगम


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