कोटि कोटि कण्ठन मा विराज रही भाषा
याही माई की दुलारी मोरी प्यारी बिटिया हिन्दी।।
महासागर हिन्दते ही लहरन के साथेन साथे
उच्च चोटी हिम पै विराजी याही हिन्दी ।।
यूपी मा बखानै कछु भाषा विद् साथेन साथे
उर्दू यदि मासी मोरी माई भाषा हिन्दी ।।
भाखैं कवि चंचल साधू सन्तन कण्ठ वसी
बाल वृद्ध नारी नर जुबानौ चली हिन्दी।।1 ।।
काम बिनु चलै नाही कोनो जीव जन्तु केरे
इटली की देवी की जुबान भाखै हिन्दी ।।
लाहोर जन्मे भले आडवाणी याकि दूजौ कोई
ए के अनथुनी याकि नेता कौनो हिन्दी ।।
होवै अटक ते कटक याकि कोना जग
कोई परसार या परचार ना अछूती हिन्दी।।
भाखैं कवि चंचल इटली देवी पुत्र होवै
याकि बाडरा प्रियंका की जुबानौ बसी हिन्दी ।।2।।
आशुकवि रमेश कुमार द्विवेदी, चंचल।ओमनगर, सुलतानपुर, यूपी ।। 8853521398,9125519009।।