चेहरा में दोहरा चेहरा
बिगड़ल बहल बाटे।
गजबे सजल बाटे।
खेलाड़ी मजल बाटे।।
रहेला जेकरे संगे,
उ अंग अंग सटल।
बिना टनले सोटले,
कहि से ना हटल।।
एकरा में ना ह अर्पण,
एकरा में ना समर्पण।
ई सबके चाहे-छोड़े,
तिलांजलि दे तर्पण।।
ना चित्त चरित एकर,
दर्पण पटल बाटे।0।।
भेड़िया के चाल चले,
गिरगिट सा रंग बदले,
बदला बदल के लेला,
मौसम के तरे बदले।।
ई समाज लाज लुटसि
कबो ना कुछ देहले।
रहसि भरत बेचैनी,
तपन तूफ़ान लेहलें,
ओहिके मिलावे माटी,
जेहि में सटल बाटे।0।।
मिलत में भोर हवे।
भीतर के चोर हवे।।
औकात ह ना बात के।
हेहर,लतख़ोर हवे।।
मनबिगड़ा ह बानर।
करें दिमाग आन्हर।।
केतना बताई केतर।
हवें बेहाया थेथर।।
ऊ खिलल ना बाँचलि
जेकरा जचल बाटे।0।।
जहें रहे बसाइल,
घर फोरफार देला।
शत्रु समाज के ह,
खून बुन गार लेला।।
ह आत्मा के दुश्मन,
परमात्मा के गाँरी,
न माता नाता माने,
खाली करे बरियारी।
दृष्टि ना कवनों दाया।
बक़बादी मन बेहाया।।
अमृत के आस देके
भरत गरल बाटे।0।।
बिगड़ा बेकार करें,
आत्मा लाचार करें।
तन जीवन जरावे,
ई सब बीमार करें।।
निर्णय ना नीक होखे।
बाउर में जीव झोके।।
जेहि जिए मनमाना,
बरबाद से के रोके।।
जेहि गुलाम मन के,
केहि बचल बाटे।0।।
ह साधु जल पवितर,
जकल जमल त महकल।
जेहि लालच से भरल,
मन मोह माया बहकल।।
मन तन करें मइल
सब नाश करें कइल।।
ई ना केहु के भइल,
जेहि सटल से गइल,
उहे बचल दिवाकर,
जेहि हटल बाटे।0।।