ना देखा मैंने मांँ को , मांँ का प्यार नहीं देखा
कैसा होता है आँचल , का संसार नहीं देखा
सब भर चर्चा खूब हुई, बेटी को मार दिया
सुर्ख रंगों से छपा हुआ , अखबार नहीं देखा
कैसे त्याग दिया जन्मी को तू भी तो एक मांँ थी
पिता पर मांँ का पहले, ऐसा ऐतबार नहीं देखा
खुश थी देवों की भूमि पर ,कुछ कर्ज उतार सकूंगी
सांसो के बदले मौत मिली, ऐसा उपहार नहीं देखा
चीख उठा मन मेरा ,तन कुत्तों ने नोंच लिया
उसने पलट कर एक पल मेरा, चित्तकार नहीं देखा
विभा तिवारी
जौनपुर