भाव प्रवाह- 29 


उम्मीद - उम्मीद यानि भरोसा। एक कहावत है कि जिसके पास उम्मीद है, उसके पास सब कुछ है। उम्मीद एक झीनी सी डोर है, जो हमारे विश्वास को कायम रखती है और हार को पास आने नहीं देती। उम्मीद हमें आशावादी बनाती है, हम में सकारात्मक भावों का संचार करती है। 


             जब व्यक्ति को लगता है कि वह हार गया है, टूट गया है, तब वह उम्मीद का दामन पकड़ लेता है और उसकी नैया डुबने से बच जाती है। उम्मीद के साथ जीवन की यात्रा सुखद होती है। हमारे होठों पर मुस्कान खींच लाती है उम्मीद ! उम्मीद आशावाद का घेरा बनाकर व्यक्ति को निश्चिंता प्रदान करती है, जिससे व्यक्ति सतत कर्मशील बनता है, जिसकी सफलता पर उम्मीद का वरद हस्त होता है। 


              उम्मीद उस भोर की तरह होती है जो काली स्याह रात को लांघ करना नव ऊर्जा के साथ प्रस्फुटित होने को आतुर होती है, जहाँ प्रकाश का फैलना तय होता है। आशा रूपी प्रकाश …! जहाँ तम रूपी निराशा चारों खाने चित निढाल हो लुढ़क जाती है किसी कोने में। 


                    जब हम उम्मीद की लकीर खींच कर चल पड़ते हैं अपने गंतव्य की ओर तब हमारे भीतर स्थिरता होती है, विचलन का भाव हमें छू नहीं पाता और जब स्थिरता चित में हो फिर लक्ष्य दूर नहीं होता, क्योंकि भटकाव की कहीं कोई गुंजाइश नहीं होती। 


               उम्मीद एक लौ है, संजीवनी है, हौसला है क्योंकि जब नाकामियाँ चरम पर होती है तब इन्हीं के बल कामयाबी काफी करीब होती है। बस एक लौ जली रहे उम्मीद की। 


              तो आइए, एक बीज बोएं अपने भीतर उम्मीद का जो पनपता रहे और सकारात्मकता बिखेरता रहे। 


 


      डॉ उषा किरण


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