एक कविता मा के नाम.......

 



मा कैसे करू तेरा शुक्रिया कुछ समझ ना आए । 


फिर सोचा... क्यों ना एक कविता के ज़रिए तेरा 


 शुक्रिया अदा किया जाए। 


फिर उठाई मैने अपनी कलम , 


और रच दी 'एक कविता मा के नाम' 


कलम के संग । 


मा तेरा शुक्रिया मुझे इस दुनिया में लाने का ।


मा तेरा शुक्रिया मुझे अपनी गोद में सोलाने का।


मा तेरा शुक्रिया मुझे धूप वर्षा से बचाने का।


मा तेरा शुक्रिया मुझे अपने आंचल के पीछे छुपाने का ।


मा तेरा शुक्रिया मुझे इस दुनिया में लाने का । 


मा तेरा शुक्रिया जो तू मेरे लिए इस जग से लड़ी । 


मा तेरा शुक्रिया जो तू मेरे दुःख-सुख में मेरे संग खड़ी। 


मा तेरा शुक्रिया मुझे पढ़ाने का ,लिखाने का ,


 कुछ करके दिखाने के काबिल बनाने का ।


मा तेरा शुक्रिया मुझे इस दुनिया में लाने का ।


मा एक तू ही है जो मेरे दुख़ में सहारा है।


मा तेरे बिन यह जग सुना सारा है।


मा तेरे संग ही जिन्दगी - जिन्दगी है,


तेरे बिन यह जिन्दगी एक बंदगी है।


मा तेरा शुक्रिया मेरी ज़िन्दगी रोशनाने का,


मा तेरा शुक्रिया मुझे इस दुनिया में लाने का।


मा तेरा शुक्रिया जो तूने दिया मुझे एक


मौका कुछ करके दिखाने का।


मा तेरा शुक्रिया जो तूने दिया मौका 


मुझे दुनिया में नाम कमाने का ।


मा तेरा शुक्रिया मेरा वजूद बनाने का,


मा तेरा शुक्रिया मुझे इस दुनिया में लाने का।


रमनदीप कौर


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