हे भारत रत्न, प्रणव दा जी
अब चलें गये तुम प्रभुधाम।
सत्य सनातन धर्म पोषक,
हे ब्रहमशक्ति तुमको प्रणाम।
प्रथम नागरिक रहे आप,
पद किया आपने गौरवान्वित।
हर निर्णय लिया दृढ़ता से
मन रहा नहीं कहीं शंकित।
स्पष्टवादिता,विनम्रता की
करता प्रशंसा हर जन मन।
भारत मां के सच्चे सपूत,
तुमको है बारंबार नमन।।
डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर उत्तर प्रदेश