प्यार भरी मुलाकात


आज प्रेयसी से प्यार भरी मुलाकात हुई


आँखों से रिमझिम आँसुओं की बरसात हुई


 


न खता उनकी थी,न ही था कुछ मेरा कसूर 


जाने क्यों वक्त पर हमारी न शुरुआत हुई


 


तड़फता है दिल बहुत जब कोई बिछड़ता है


जुदाई अंजाम मोहब्बत, फिर वो बात हुई


 


पथिक चलता अकेला जिन्दगी की राहों पर


हमसफर मिल जाए ,राहे में वारदात हुई


 


तारे टिमटिमाते नभ में जुगनुओं की तरह


चमक पर ना जाने कब,क्यों, कैसे घात हुई


 


मनसीरत महके चमन रंग बिरंगे फूलों से


फिर भी जीवन में क्यो नहीं नव प्रभात हुई


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 सुखविन्द्र सिंह मनसीरत


000खेड़ी राओ वाली (कैथल)


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