कविता
परी हूं मैं पंखों वाली,
नीले गगन में खेलने जाऊंगी ।
चन्दा मामा से बाते करके ,
तारो को दोस्त बनाऊंगी ।।
सारे खिलौने , गुड्डे - गुड़िया
संग अपने मैं ले जाऊंगी ।
चन्दा मामा संग खेलूंगी मै,
और खीर पुडी खाऊंगी।।
दोस्त मेरे चमकते तारे,
मै भी संग मिल जाऊंगी ।
परी हूं मैं पंखो वाली ,
नीले गगन में खेलने जाऊंगी।।
वांहा कदम का पेड़ है जिसमें ,
मै झुला "झुल" के आऊंगी।
घुमुंगी मै आसमान सारे ,
मै चिड़ियों से मिलकर आऊंगी।।
परी हूं मै पंखों वाली,
नीले गगन में खेलने जाऊंगी।
स्वरचित - सरिता लहरे
छत्तीसगढ़
मोबाइल नंबर- 6266873706