मौन रिश्ते


अब तो मौन हो गये हैं रिश्ते ही सारे,
किसी भी मदद को कौन किसको पुकारे.!


बिना स्वार्थ के कोई आता न नजदीक,
न समझें किसी भी तरह के इशारे..!


उम्मीद की आस करना है बेकार,
छोड़ देंगे साथ लाकर मझधारे..!!


धरती न बदली न आकाश बदला,
बदलें हैं केवल नजर के नजारे..!!


कसमो और वादों की बातें करो मत,
झपकते पलक ही बदलते हैं सारे..!!


पुकारें किसे कोई सगा न किसी का,
सभी लोग रहने लगे हैं किनारे..!!


अर्चना भूषण त्रिपाठी " भावुक "


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