खुशियों की महक से बनती है ज़िंदगी
सपनों की कलम से लिखनी ज़िंदगी
कहना है तुझसे बस इतना ज़िंदगी
हर मोड़ पर तू संभलना ज़िंदगी
जीत आसानी से मिले तो क्या ज़िंदगी
कभी-कभी दुःख भी सहना ज़िंदगी
पर आखिर में तो है हँसना ज़िंदगी
काँटों के बीच में है रहना ज़िंदगी
पर गुलाबों की तरह है महकना ज़िंदगी
आखिर में है ये कहना ज़िंदगी
कि हर वक़्त यूँ जियो ज़िंदगी
कि अगले पल फिर मिले या ना मिले ज़िंदगी
खुशियों की महक से बनती है ज़िंदगी
सपनों की कलम से है लिखनी ज़िंदगी..।।
डाॅ० अनीता शाही सिंह