दिल से चाहते हैं तुम्हे
लेकिन दुआ में कभी नहीं मांगा
क्योंकि....
जानते हैं हम, हम मिट्टी के धूल और
तुम महलों के राजा।
दूर से देख के तुम्हे,
खुद से रुखसत हो जाते हैं
हमे इश्क़ का मलाल नहीं
हम तो मीरा की तरह
इश्क़ में मलिन हो जाते हैं।
तुम्हें देखा जरूर करते है,
लेकिन तुम्हें कभी पास नहीं चाहा
क्योंकि..
जानते हैं हम, हम पलकों के सपने
और तुम सपनों के शहजादा।
कभी अश्कों में डूब के तुम्हें
खुदा से मांगना चाहा
फिर याद आया
इश्क़ ये मोहब्बत वो
बगिया के फूल और तुम ,
उस बगिया के कांटा ।।
सरिता लहरे
जशपुर (छत्तीसगढ)