बिमलेन्दु भूषण पाण्डेय
[ पिछला कुछ दिन से एने ओने के व्यस्तता के चलते किताबिन के ले के बैकलाग बढ गइल रहल ह एहि से बहुत कुछ एने ना लिखा पावत रहल ह । आज फुरसतियाह भइल बानी त एह दुनो किताब के हाली हाली पढनी ह आ सोचनी भा हमरा लागल ह कि एह दुनो किताब के एक संगे साट के रउवा सभ के सोझा राखल जाउ । ]
किताब - 1
खोंता से बिछुड़ल पंछी (कहानी संग्रह)
संपादक : रूपश्री
साल : 1979
प्रकाशक : भोजपुरी साहित्य संस्थान, शाहगंज (महेंद्रू), पटना
इ किताब मात्र कहानी संग्रह ना ह , असल में इ किताब ह आधा आबादी यानि कि महिला वर्ग के भोजपुरी गद्य साहित्य में जोरदार दस्तक के । असल में इ किताब भोजपुरी के महिला साहित्यकार लो के पहिला कहानी के संग्रह ह ।
एह किताब में 11 गो लमहर आ बड़ा चोख कहानी संकलित बा । एह से एह किताब के हर भोजपुरिया के पढे के चाहीं आ खास क के भोजपुरी भाषी महिला लोगन के जरुर पढे के चाहीं ।
एह किताब में कहानी बा -
1- सुधा वर्मा - देवाल
2- प्रो. आशारानी लाल - लगाव
3- श्रीमती बच्ची देवी - एक चिटुकी सेनुर
4- बिन्दु सिन्हा - लाल निशान
5- श्रीवास्तव स्नेही प्रभा - बतिया ना बिसरे
6- विभा सिन्हा - चोट
7- श्रीमती चंद्रमुखी वर्मा - बड़का दोना
8- शांति देवी - लाचार जिनगी
9- श्रीमती राधिका देवी श्रीवास्तव - धरती के फूल
10- श्रीमती इलारानी गुप्ता - जनम जनम के नाता
11- रुपश्री - खोंता से बिछुड़ल
किताब के डाउनलोड के लिंक - http://bhojpurisahityangan.com/wp-content/uploads/2020/08/Khonta%20Se%20Bichhural%20Panchhi.pdf
किताब - 2
विश्व व्यापनी भोजपुरी ( निबंध )
संपादक : डॉ॰ राजेश्वरी शांडिल्य
साल : 2004
प्रकाशक : संजय बूक सेंटर, गोलघर, वाराणसी
एह किताब के निबंध कहल अन्याय कहाई आ हम एह किताब के भोजपुरी के पलायन के इतिहास कहब । असल में राजेश्वरी जी के बढिया साहित्यकार कहल ना कहल इ त बौद्धिक वर्ग के आपन बात बा बाकिर आखर के कैलेंडर में जब राजेश्वरी जी के स्वागत भइल त हमरा निजी रुप से इहां के क गो जानकारी से भिन्नता के बादो एगो गर्व आ अभिमान एह बात के रहे कि इहाँ के भोजपुरी के ओह चीजन के संग्रहित भा छुवे के कोशिश कइले बानी जवना ओर अधिकतर भोजपुरिया साहित्यकार के नजर नइखे परल ।
अब एहि किताब के ले लिहीं , भारत के भोजपुरी आ भोजपुरी के नामकरण से ले के उदय से ले के मॉरिसस के भोजपुरी , फिजी में भोजपुरी , सरीनाम आ अफ्रिका में भोजपुरी के ले के बड़ा ठोस जानकारी बा ।
राजेश्वरी जी संगे इ समस्या रहल बा कि इहाँ के हिंदी के जवन खोल बा ओह से बहरी ना निकल पावत रहनी ह , आ इहे हाल एह किताब के शीर्षक के सत्यापित करे वाला एगो रचना जवना के मॉरिसस के साहित्यकार डॉ. ब्रजेंद्र भगत ' मधुकर ' जी लिखले बानी ओह में एगो यानि कि पहिले पंक्ति बा ' हिंदी की जननी भोजपुरी ' यानि कि हिंदी के खोल से बहरी भोजपुरी नइखे निकल पावत आ एहि सोच से सरीनाम , फिजी हर जगह हिंदी के पाठ्यक्रम भोजपुरी के रिप्लेस कइले बा ।
बावजूद एह के इ किताब बहुत बढिया सुचना दे रहल बिआ कि कहाँ कहाँ आ कइसे भोजपुरी गइल , भोजपुरी में शिक्षा , साहित्य के ओह जगहन प का स्थिति बा आ एह के पढत घरी रउवा सभ के अनुभव होइ कि हिंदी कइसे भोजपुरी के बौद्धिक आ शैक्षिक रुप के लील रहल बिआ ।
एह किताब के एहू खातिर पढे के चाहीं आखिर भोजपुरी के विश्व के भाषा काहें कहल जाला आ भोजपुरी कइसे अपना के आज ले जिअतार रखले बिआ ।
चुकि किताब के भाषा हिंदी बा त रउवा सभ एह किताब के हर ओह व्यक्ति के संगे शेअर क सकेनी जेकरा भोजपुरी भाषा आ भोजपुरिया लोगन के इतिहास , भुगोल , वर्तमान , साहित्य , स्वरुप मोटा-मोटी आ संछेप में चाहीं ।
रउवा जदि भोजपुरी भाषा खातिर काम करत बानी त एह किताब के जरुर डाउनलोड करीं आ एह के जरुर पढीं ।
डाउनलोड लिंक - http://bhojpurisahityangan.com/wp-content/uploads/2020/08/Vishwa%20Vyapini%20Bhojpuri.pdf
हरमेसा लेखा एह किताबिन के पढत घरी , भोजपुरी साहित्यांगन के धन्यवाद जरुर दिहीं काहें भोजपुरी भाषा साहित्य में किताबिन के ले के जवन तिलिस्म साहित्यकार लो बनवले बा ओह के इ संस्था नीमन से तुरि रहल बिआ ।