बहारें फिर के आएँगी,
अगर तुम साथ हो मेरे,
घटाएँ घिर के छायेंगी,
अगर तुम साथ हो मेरे,
सफर आसान लगता है,
तू जब भी साथ चलता है,
तुम्हारे बिन कहाँ जायूँ,
कोई रस्ता नहीं दिखता,
मंजिलें मिल ही जाएँगी,
अगर तुम साथ हो मेरे,
तुम तारों में चमकते हो,
तुम्हीं से रात रौशन है,
मुझे भी चाँद मिल जाये,
अगर तुम साथ हो मेरे,
कहीं टूटा कोई तारा,
चलो मन्नत कोई माँगे,
कोई लौटा दे फिर हमको,
वो दिन जब साथ थे तेरे,
जियें फिर से वही सपने,
सवारें फिर वो बीते पल,
चलो फिर से कहें तुमसे,
जो बातें अनकही सी हैं,
इक जज्बात की आँधी,
कहीं मुझमे रुकी सी है,
किसी पत्ते से उड़ जाएँ,
अगर तुम साथ हो मेरे,
सजी हैं महफ़िलें अब भी,
कई चेहरे सजीले हैं,
भरे प्याले लिए हाथों में,
सब मुझको बुलाते हैं,
मेरी आँखों को जो भाए
वो मंजर फिर से मिल जाये,
अगर तुम साथ हो मेरे।
नीलम द्विवेदी
रायपुर (छत्तीसगढ़)