अच्छा है


"मौन हो ?


अच्छा है !!


बोलने से बेहतर है !!


क्यों बोलोगे ???


क्या बोलोगे ???


कुछ कड़वा- सा !!


जहरीला -सा !!


जहर तोलने से बेहतर है


चुप होकर रह जाने में


और नहीं बह जाना है


मौन अभिव्यक्त बौनों में


क्या कहोगे ??


सन्दर्भ भी तो हो!!


चुप रहोगे ??


अभिव्यक्त भी तो हो!!


चुप होकर स्वीकृति दो


या दो मुखर


अनुव्यक्ति हीं


पर कुछ ऐसा दो


जीवन को 


नयी स्फूर्ति हीं,,


मीठा ज़हर घुलने के


पहले ही 


चुप हो जाओ तुम


बोलना गर चाहो तो


मौन स्वीकृति


दे आओ तुम,,


कहने को तो


बहुत ही है


क्या कहना


क्या चुप हो जाना


जहर घोलने से बेहतर है


अपनी अभिव्यक्ति


खुद ही छुपाना,,,,,


    *******


© डॉ मधुबाला सिन्हा


मोतिहारी,चम्पारण,बिहार


29 अगस्त2020 


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