नारी से ही दुनिया सारी है,
नारी ही सब पर भारी है।
जो ना समझे नारी का मोल,
खोलते देवता नर्क के डोर।
बिना नारी के नर है अधूरा,
क्या नर बिना नारी है पूरी?
दोनों ही सिक्के के पहलू हैं,
दुनिया दोनों से ही चलती है।
नारी ममता की नहीं परमात्मा की मूरत है,
जिसके एक नहीं अनेक सूरत है।
प्रियंका चौरसिया
कोलकाता