सदाचार संस्कारों का प्रतिबिंब दिखाती है नारी।
प्रेम, दया,ममता से घर को, स्वर्ग बनाती है नारी।।
प्रतिभा को प्रमाण मिले,प्रयास निरन्तर जारी है।
धरती को तो नाप चुकी हैं,अब अम्बर की बारी है।
सैन्य-सेवा,कला,सियासत,शिक्षा हो या रणकौशल।
हुई प्रमाणिक बौद्धिकता,सामर्थ्य संग अदम्य बल।
तुच्छ मानसिकता ने भले ही,ख्वाहिशों का हरण किया,
अटल इरादों ने आखिर में, विजयश्री का वरण किया।।
क्षमता को पहचान मिले, हर शिखर इन्हें हम छूनें दें।
दें परवाज़ हौसलों को,उन्मुक्त गगन में उड़नें दें।।
भले न दें दर्ज़ा देवी का,दें क्यों झूठा मान इन्हें।
करे गुज़ारिश "नील" यही बस,समझें हम इंसान इन्हें।।
नीलम मुकेश वर्मा
झुंझुनू राजस्थान