मन बड़ा ही चंचल है,
फिर भी सुंदर निर्मल है।
जिसने किया मन को वश में,
वही रहा श्रेष्ठ इस जग में।
मन की गति का कोई मेल नहीं,
इसे समझ लेना आसान कोई खेल नहीं।
मन, मन में, मन की बात बताया,
जितना सोचा था उससे कहीं ज्यादा पाया।
मन को दोषी बताने वाले,
एक नहीं दस हैं ऐसी वाणी वाले।
जिसने मन को, मन में ठान लिया,
संसार में उसी को सफल मान लिया।
प्रियंका चौरसिया
कोलकता