"तुम्हें भूल जाऊँ यह
मुमकिन नहीं है
कि जिंदगी तुमपर ही
आ कर है ठहरी
जिधर रुख करूँ मैं
हर शय में तुम हो
कि जिंदगी तुमसे और
तुम जिंदगी हो
कटती नहीं तुम बिन
अब कोई रातें
कि नजर घूमाऊँ तो
हर लम्स तुम हो
कहाँ जा रहे हो तुम
मुझे साथ ले लो
कदम जो उठाऊँ तो
बाँहों में ले लो
तुम बिन अधूरी अब
जीवन की राहें
कि चले आओ तुम बिन
कटती न रातें
मेरे मन के बगिया हो
मेरे जीवन नईया
आकर करो पूर्ण अब
मेरे खेवइया
नदी की लहर जैसे
उठती रवानी
चले आओ अब तुम बिन
न कटे जिंदगानी
चले आओ अब तुम बिन
न कटे जिंदगानी
तुम्हें भूल जाऊँ
यह मुमकिन नहीं है
कि जिंदगी तुम पर हीं
आकर है ठहरी,,,,,,
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©डॉ मधुबाला सिन्हा
वाराणसी
जिंदगी