डेगे डेग ठेस....

बिकट जिनिगी के बाटे बिकट डगरिया 


डेगे डेग ठेस देले ऊँच खाल डगरिया...।


ओहू से दिक्कत देले दिन दुपहरिया, डेगे डेग...।


 


अँखिया के सपना शहरिया देखा के 


ले आइल जिनिगी बहरिया देखा के 


ढोवे के भार परऽत बा सिरवा टोकरिया,


डेगे डेग ठेस....। 


 


हँसऽता घाम जइसे कुफुत में पेर के 


बड़ घर के लइका लेखा मुँह फेर फेर के 


एतना सतावत आज दिन के बा बेकरिया, 


डेगे डेग ठेस...। 


 


छुधा बुतावे खातीर काम बा जरूरी 


कहाँ लेके चोला जाईं छोड़ के जी हजूरी 


कन्हेला प ठाढ़ बा लेके मुनुशिया छतरिया, 


डेगे डेग ठेस...। 


 


झांझर करेजा होला बोली सुन सुन के 


जारे के परेला घामा में रोज खून के 


रिने में जनम भइल, रिने में उमरिया, 


डेगे डेग ठेस....। 


 


विद्या शंकर विद्यार्थी 


 


Popular posts
अस्त ग्रह बुरा नहीं और वक्री ग्रह उल्टा नहीं : ज्योतिष में वक्री व अस्त ग्रहों के प्रभाव को समझें
Image
दि ग्राम टुडे न्यूज पोर्टल पर लाइव हैं अनिल कुमार दुबे "अंशु"
Image
पितृपक्ष के पावन अवसर पर पौधारोपण करें- अध्यक्ष डाँ रश्मि शुकला
Image
दि ग्राम टुडे न्यूज पोर्टल पर लाइव हैं रुड़की उत्तराखंड से एकता शर्मा
Image
दि ग्राम टुडे न्यूज पोर्टल पर लाइव हैं बरेली उत्तर प्रदेश से राजेश प्रजापति
Image