आज की नारी का सफर
चुनौती भरा ज़रूर है
पर आज की नारी के पास
उनसे लड़ने का ग़ुरूर है।
आज की नारी, आत्मविश्वासी
दुनिया में अलग पहचान बनाई
आज की नारी स्वावलंबी भी
उसने आत्मनिर्भरता पाई।
आज की नारी करे स्वीकार
हर चुनौती हँस-हँस कर
आज की नारी घर परिवार
संभाल रही है किस तर!!
कभी-कभी तो इसपर समाज
लगाता कितनी ही बंदिशें
परिवार औ घर के अपने भी
रखते हैं उसी से रंजिशें।
पर फिर भी आज की नारी
होती बिल्कुल भी विचलित नहीं
जीवन पथ पर आगे
बढ़ने की उसने
ठान रखी है मन में ही।
कल तक तो यही नारी थी
भावनात्मक रूप से ही कमज़ोर
पर आज वो इतनी सशक्त हो गई
पहचान अपनी बनाई सब ओर।
आज की नारी पुरुष से देखो
किसी बात में भी कम नहीं
उसे हरा दे!उसे दबा दे!
किसी पुरुष में ऐसा दम नहीं।
शकुंतला मुखर्जी
चण्डीगढ़