वो कहानियां,वो लोरियां..... सब याद है दादी


 


प्रिय दादी !


आपको पता है कि मैं अब लगभग रोज नहाती हूं, भले कोई मेरे पीछे साबुन और तौलिया लेकर न दौड़ता हो। कभी-कभी बिना खाये भी सो जाती हूं और बड़े आराम से झूठ बोल लेती हूं कि अभी तो तीन रोटियां खाई थी ! बहुत बार महसूस करती हूं कि वक्त भी कुछ बातों को अपनी पहलू में छुपाये रहा और नियति भी न चाहते हुए सहर्ष साथ दे रही थी। तब मन व्याकुल हो जाता था , जब से ये समझ आने लगा कि आप वापस नहीं आ सकतीं  ! फिर भी उतना ही विश्वास बना रहता है कि शायद अभी भी आसमान से एक सीढ़ी आयेगी उससे होते हुए आप छत पर उतरेंगी, जहां मैं आपको गले लगाकर फूट-फूट कर रोऊंगी, लेकिन दादी वो छत भी तो मुझे खुद तक आने की इजाजत नहीं दे सकता !


वक्त भी अजीब तरह के अंतरतम परिस्थितियों से रुबरू कराता है,जब तक आप रही, न जाने क्या था कि वही रसोई सबके शाम के भोजन का प्रबंध कराती थी। सब अपनी दिन भर की बातें बताते थे और हम बच्चे चुल्हे की लकड़ियों को खींचते रहते थे, जिसके वजह से मम्मी गुस्साकर दौड़ाती थीं, लेकिन आपके आंचल के छांव के आगे कौन गुस्सा करने की हिमाकत कर सकता ? फिर काहें को मार ? हाँ, शांति की साक्षात देवी सौम्यता और गहनता, वाणी में वो माधुर्यता आज तक फिर किसी में उस तरह का न दिखा, न देखा !
न जाने किस जादू की पुड़िया थीं कि आपके कहे एक-एक शब्द मंत्र बन आज तक मुझमें संचारित हो रहे हैं और हरदम होते ही रहेंगे, ऐसा लगता है। सचमुच दादी,आपके जाने के बाद परिवार को बिखरते देखना ,देखते-देखते घर में कई चूल्हे हो जाना ! इस बात ने मेरे बालमन को कई-कई बार झकझोरे, तभी तो एक अवधारणा बन गयी कि दादी के चले जाने पर घर बिखरते हैं, लेकिन जब पड़ोसी के घर की दादी के रहते वहां बिखराव देखा, तब समझ आया कि आप संगम थी, विशेष थी; जिसने सबके भावों को समझ के सब जोड़े रखा ।


आपसे न जाने कितनी बातें करनी हैं । बहुत से गीत सीखने हैं, आप की बैंगनीवाली साड़ी पहनकर शादी करनी है ! ये सारे सपने को सँजोकर मैं आपके आंचल में सोकर खुली आँखों से देखती थी और शब्दों के झिलमिल सितारों को आप पिरोती थीं !


वो कहानियां,वो लोरियां..... सब याद है दादी ! बाबू को सब सुनाती हूं,वो सुनता भी है, लेकिन आप की बिंदी बार-बार निकाल देती थी । मुझे यह वाकया याद आते ही गला भर आती है ।
आखिरी बार जिस बांस के सीढ़ी पर बुलाकर आप ले जायी गयी थीं, वो सीढ़ी कभी मेरे इस छत पर उतरे इस वाकये का इंतजार मुझे हमेशा से रहा है,आज भी है और हरदम रहेगा ।
दादी ! बस एक बार फिर से आयेंगी, तो फिर मैं आपको कभी नहीं जाने दूंगी !



 आपकी दुलारी:--


     'अर्पण'


Popular posts
अस्त ग्रह बुरा नहीं और वक्री ग्रह उल्टा नहीं : ज्योतिष में वक्री व अस्त ग्रहों के प्रभाव को समझें
Image
सफेद दूब-
Image
गाई के गोवरे महादेव अंगना।लिपाई गजमोती आहो महादेव चौंका पुराई .....
Image
भोजपुरी भाषा अउर साहित्य के मनीषि बिमलेन्दु पाण्डेय जी के जन्मदिन के बहुते बधाई अउर शुभकामना
Image
ठाकुर  की रखैल
Image