विचार जो
पवनसे भी
अधिकही
गतिमान है ।
विचारही
विकार है
विचारही
विवेक है
विचार
अन्तःकर्ण है
विचार
मनका भाव है
विचार
बुद्धि चित्त है
विचार
अहंकार है
विचार
कार्यकारण है
विचार
गुप्त सुप्त है
विचार
कामक्रोध है
विचार
लोभ मोह है
विचार
मद मात्सर्य है
विचार
दंभ संशय है
विचार
चिंताजनक है
विचारही
विकास है
विचारही
निकास है
विचारही
विनाश है
विचार कभी
प्रथम है
तदनंतर
कर्म है
कभी प्रथम
कार्य है
तदनंतर
विचार है
मनुष्य देह
गूढ़ है
उससे गूढ़
विचार है ।
मानवी
शरीरकी
जैसी कोई
आयु है ।
वैसीही
विचारकी
अपनी कोई
आयु है ।
दीर्घ या
प्रदीर्घ है
अल्प अती
स्वल्प है
विचारही
अनर्थ है
विचारही
पुरुषार्थ है
दिवाकर
२५ ६ २०२०