उपन्यास के अर्थ ही होला--समीप भइल---उ चाहे जवन भासा में होय


भोजपुरी के पहिलका उपन्यासकार स्वर्गीय रामनाथ पाण्डे जी के पूण्यतिथि पर विशेष


हम --डॉ मधुबाला सिन्हा, सारण भोजपुरिया समाज के एगो अदना सवांगीन---- साहित्य सिरजन करत साहित्य के हर विधा में थोड़ा बहुत लिखे के प्रयास करत रहेनी।पद्य में काव्य के क्षणिका से ले प्रबंध आ गद्य में लघु कथा से ले के उपन्यास तक लिखे के पियास मन में बनल रहेला ।इ अलग बात बा कि हम लघुकथा आ कविता से आगे नइखी बढ़ल।पर मन के पियास बुझावे के क्रम में अपना पूर्वज रचनाकार लोग के पढ़ेके, समझेके आ ओह लोग के आदर्श पर चले के प्रयास जरूर करीने।
       आज एहि प्रयास के सार्थकता बुझाता ।आ ओह समय अउरी खास कर जब भोजपुरी के पहिलका उपन्यासकार स्वर्गीय रामनाथ पाण्डे जी के प्रति श्रद्धासुमन अर्पित करे के मौका मिलल बा। 
       जइसे अपने सभन जनतानी कि उहाँ के जन्म 8 जून 1924 के भइल रहे आ उहाँ के स्वर्गारोहण 16 जून 2006 के भइल रहे।लगातार नौकरी आ परिवार के बीच मे भी समय लेके लिखत रहीं।उहाँ के भीतर समाज मे घटित चित्र चोट करे आ उहाँ के आपन कलम उठा लेहनी उ सब चित्र के लेखनी के माध्यम से उकेरे के आ इ क्रम जाए-जाए के बेर तक बनल रहे। साहित्यकार के भीतर एगो भूख होला लिखे के,समाज के प्रति उ अपना कलम के जिम्मेदारी मानेले आ हर संभव अपना दायित्व के निर्वहन में लागल रहेलें ।इहे भूख पांडे जी मे भी रहे आ अनवरत लेखनी चलत रहे।
          उहाँ के लिखनी त कइगो कहानी,उपन्यास ।पर इहाँ हम उहाँ के उपन्यासकार के रूप में वर्णित कर रहल बानी।उपन्यास के अर्थ ही होला--समीप भइल---उ चाहे जवन भासा में होय।उपन्यास के पहिलका शर्त हीं इहे ह कि ओहमें लिखल कथानक पाठक के आपन महसूस होखे यानी कथानक पाठक के बिल्कुल करीब लागे।ऐह दृष्टि से हम देखीं त लगभग सभ भासा में अनेकों ख्यातिलब्ध उपन्यासकार भइल बाड़ें जे मिल के पत्थर साबित भइल बाड़ें।आ हम सब जानतानी कि भोजपुरी भासा के आपन एगो वजूद बा जे ना खाली भारत बल्कि विश्व के तमाम भासा पर भारी पड़ेला।,भोजपुरी के मीठास, लालित्य,व्याकरण,भोजपुरी के शब्दन में ध्वनित होत संवेदना,लोकमंगल के भावना सर्वविदित बा आ सर्वमान्य बा।एहि भासा में उपन्यास लिखल आ लिख के साहित्य के पटल पर अमिट छाप छोड़ देहल कम साधारण बात नइखे।इ काम करे वाला साधारण व्यक्तित्व के धनी ना होइ।आ उ क्षमता रखे वाला,करिश्मा करे वाला अगर कउनो नाम बा त उ नाम ह स्वर्गीय रामनाथ पांडे जी के।हम भोजपुरी के पहिला उपन्यासकार मान्यवर  स्वर्गीय रामनाथ पांडे जी के शत शत नमन करतानी। जे चरित्र उहाँ के "बिंदिया" में गढले बानी इ समाज मे विचरत आम बात बा पर जे शब्द -संयोजन बा,वैयाकरणिक शुद्धता बा आ कहानी के गढ़न बा उ कम नजर आवेला।एहि सबसे एह उपन्यास के कालजयी रचना कहल जाला।आ एह के भोजपुरी के पहिला उपन्यास होखे के गौरव भी मिलल बा। उहाँ के कृतित्व के साथ व्यक्तित्व के भी धनी रहनी।ऊपर से कठोर पर मन से मुलायम।कहल हीं जाला की व्यक्तित्व आ कृतित्व दुनो एक दूसरा के पूरक ह।

इति!!!!
          हम इहाँ के आपन श्रद्धासुमन अर्पित करत बस इहे कहेम कि "भोजपुरी के प्रेमचंद" के कालजयी रचना हमरा पढेके सौभाग्य मिलल।             
© डॉ मधुबाला सिन्हा
मोतिहारी
16 जून 2020 


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