विलुप्त होती
छत्तीसगढ़ की एक जनजाति
बिरहोर।
जिला जशपुर का
एक छोटा गाँव झरगांव
नई उम्मीद की किरण के साथ
उजाला फैला रहा है
चहुँओर।
एक गरीब पिता कुंवर राम की
आज आत्मा हुई है ऐसी
विह्वल भाव विभोर।
पढ़ लिख कर निर्मला
बनेगी बिटिया अफसर
आशिष देना सभी
छोटे कस्बे झरगांव में
वो लायेगी सुभोर।
पढने की खातिर जिसने
शादी से किया इंकार।
बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ
इससे था उसको प्यार।
आज कलेक्टर भी
कर रहे हैं गुणगान
आज स्वागत हो रहा हैं
उसका पुरजोर।
जो कोई ना कर पाया
वो आज किया है तूने
फलीभूत होंगे, जो सपने हैं बूने
एक क्रांति लाई हो तुम
है आशिर्वाद तूझे
उम्मीद ना छोड़ना कभी
बढ़ना तुम सदैव एक
नई उम्मीद की ओर।
बारहवीं की सफलता
कदम बढ़े हैं कॉलेज की ओर
पीछे ना मुड़ना कभी निर्मला
कहे "गीत" तुझसे बिटिया
अपना कर जोड़।
©️®️
गणपति सिंह गीत
छपरा, बिहार