भूल पायेंगे कैसे भला हम याद हर बात आया करेगी।
प्यार की इंतिहा से गुजरकर रात ख्वाबों में जाया करेगी
धङकने भी तो थम सी गई हैं एक मुद्दत से देखा नही है।
शाम से सहर भर बीतने पर तेरी यादें सताया करेगी।।
उनके दीदार को हम तरसते रह गये तुमपे हम यार मरते।
कौन जन्नत मिली है बतादो मेरी मन्नत को रुसवा करेगी।
भूल कर हमको बैठे ऐसे कल तुम्हें हम अगर भूल बैठे।
फिर न कहना कि हम वेबफा हैं बेवफाई नज़ारा करेगी।।
आभी जाओ क़सम है हमारी रूठने में न ये पल बिताओ।
रूठ जायेंगे तुमसे अगर हम क़समेवादे भुलाया करेगी।।
इस क़दर वे मुराद दिल को तुमने क़दमों तले रौंद डाला।
या ख़ुदारा ख़ता बख्श मेरी रुख्सते दिल दुबारा करेगी।।
पुष्पलता राठौर