- टैग वाहनों से एईएस पीड़ित को लाने में मिल रही सहायता
- 2020 में जागरुकता के कारण आए मात्र 2 केस
- तत्परता से अस्पताल पहुंचाने के कारण दोनो मरीज हुए ठीक
आसीफ रजा
मुजफ्फरपुर । जिले में एईएस बच्चों पर काल बन कर टूटता है। पिछले साल जिले के पांच प्रखंड इस बीमारी के अतिप्रभावित इलाकों में शामिल थे। जिसमें कांटी प्रखंड भी शामिल था। पानापुर हवेली, मुस्तफापुर, रसुलपुर जैसे पंचायत इसके सबसे ज्यादा प्रभावित पंचायतों में थे। वर्ष 2019 में प्रखंड में 71 बच्चे इस बीमारी पीड़ित हुए थे। वहीं इस साल जागरुकता और मुख्य तीन संदेश की बदौलत मात्र 2 केस आया है। जिसे एसकेएमसीएच से छुट्टी दे दी गयी है। कांटी सामुदायिक चिकित्सा केंद्र के प्रभारी डॉ यूपी चौधरी ने कहा कि पिछले साल से सबक लेते हुए हमने मुख्य तीन संदेश को लेागों तक पहुंचाना जरुरी समझा। जिसमें खाना खिलाकर सुलाना, बच्चा शिथिल हो तो उसे खुद से उठाना और लक्षण दिखने पर तुरंत अस्पताल लेकर आना। यही तीनों संदेशों को लेकर घर -घर आशा, आंगनबाड़ी ने गृह भ्रमण के दौरान गयी। नतीजा आपके सामने हैं। माधोपुर अहियापुर गांव की रोशनी कुमारी ने एक सुबह जब आंख नहीं खोल रही थी बेहोश पड़ी थी। उसे देखते ही रोशनी की मां को चमकी के बारे में शक हुआ। कुछ दिन पहले ही उसे घर पर चमकी के बारे में बताया गया था। उसने तुरंत ही अपने वार्ड नंबर 12 की आशा मंजू देवी को बुलाया। मंजु ने तुरंत ही टैग वाहन से 30 मिनट के अंदर उसे एसकेएमसीएच पहुंचाया जहां उसकी जांच हुई और उसे एईएस पीड़ित पाया गया। तीन दिनों के ईलाज के बाद उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी। वहीं मंजू अभी भी उस बच्ची का फॉलोअप करती हैं।
277 स्वास्थ्यकर्मियों को मिला प्रशिक्षण
डॉ चौधरी कहते हैं पिछली बार से जो हमें सीख मिली उसके हिसाब से हमनें इस बार दिसंबर से ही जागरुकता पर काम कर दिया था। इसी क्रम में हमने 46 नर्स, 220 आशा और 11 डॉक्टरों को एईएस पर प्रशिक्षण दिया गया है। ग्रामीण स्तर पर जो डॉक्टर अभ्यास करते हैं वैसे 62 डॉक्टरों को भी प्रशिक्षण दिया गया कि वे अपने पास बच्चे को नहीं रखेगें। अगर तेज बुखार हो तो उसे चापाकल के साफ पानी से पीड़ित बच्चे को पट्टी देने के लिए प्रेरित किया है। इसके अलावे प्रशासन स्तर पर भी जन प्रतिनिधियों को भी प्रशिक्षित किया गया है।
133 प्राइवेट वाहनों को किया गया है टैग
एम्बुलेंस की अनुपस्थिति में एईएस पीड़ित समय पर अस्पताल पहुंचे इसके लिए कांटी प्रखंड में 3 एबुंलेंस हैं। इसके साथ ही वार्ड स्तर पर प्राइवेट वाहन को टैग किया गया है। जिसकी संख्या 133 है। जिस वार्ड में यह टैग वाहन दिया गया है। वहां उसी वाहन से एईएस पर प्रचार प्रसार भी हो रहा है। टैग वाहन का नंबर आशा के साथ प्रत्येक घर में दिया गया है।
सीएचसी में है आधुनिक एईएस वार्ड
सीएचसी कांटी के नये भवन में एसओपी के अनुसार दो बेड का वातानुकुलित कमरा है। जिसमें ग्लूकोमीटर, ऑक्सीजन सेलेंडर, सक्सेसन मशीन सहित एईएस के उपचार में उपयोग होने वाले सभी उपकरण मौजूद हैं। डॉ यूपी चौधरी का कहना है कि हमने अपने सीएचसी में एईएस वार्ड के अलावे एक रिकवरी वार्ड बनाया है। जहां खतरे से बाहर हो चुके बच्चों को रख उनका फॉलोअप किया जाता है। जब वे पूर्णत: ठीक हो जाते हैं। तभी उन्हें जाने की अनुमति मिलती हैं।
कैंपेन की तरह फैलायी गयी जागरुकता
अतिप्रभावित जोन होने के कारण यहां जागरुकता को हमने एक कैंपेन की तरह चलाया। इस दौरान हमने आरोग्य दिवस के दिन को जागरुक करना सुनिश्चित किया। राज्य स्वास्थ्य समिति से मिले लीफलेट को आशाओं ने घर-घर जाकर उसे सुनाया और बांटा। आरबीएसके के टीम के द्वारा आंगनबाड़ी, स्कूल, समुदाय और घरों में चमकी के कारण लक्षण और बचाव के तरीकों को बताया गया। इसके अलावा जिला के तरफ से भी आरबीएसके के वाहनों के द्वाअरा ऑडियो माध्यम से भी प्रचार प्रसार किया गया।
अतिकुपोषित बच्चों पर नजर
डॉ चौधरी ने कहा कि अक्सर देखा गया है कि अतिकुपोषित बच्चों में चमकी का प्रभाव ज्यादा देखा गया है। हमने अपने प्रखंड में अतिकुपोषित बच्चों की लिस्ट बनायी है जिसकी संख्या 24 है। इसमें से 4 बच्चों जिनके नाम आरोही कुमारी, मुन्ना ठाकुर, सुमन कुमारी, शिवचंद्र सहनी को पोषण पुर्नवास केंद्र भेजा गया है। वहीं शिक्षा विभाग कॉम्फेड और जीविका के माध्यम से अतिकुपोषित बच्चों में मिल्क पाउडर और ड्राई फूड भी वितरीत किए गये हैं।