स्वर्ग


स्वर्ग  का है  कोई ठांव नहीं,
अपना  सुख- शांति है स्वर्ग,
नित कर्म - धर्म  करें अच्छा,
स्वतः मिल  जायेगा अपवर्ग,
स्वतः मिल  जायेगा अपवर्ग,
जीवन धन्य,    कृतार्थ होगा,
कहते'कमलाकर'हैं स्वर्ग-सा,
यह जीवन स्वहितार्थ होगा।।
    
कवि कमलाकर त्रिपाठी.


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