17 हजार फीट की ऊँचाई पर
--- 20 डिग्री से भी नीचे के तापमान पर
अपने प्राणों की परवाह न कर
प्रतिपल सजग देश के शूरवीर नौजवान! तुझे कोटिशः नमन!!
तन को छेदकर
हड्डियों को सुई - सी चुभोती
बर्फीली हवाओं में...
जहाँ साँस लेना भी
हो जाता है दूभर
वहाँ अप्रतिम धैर्य, साहस का रूप धर
अपने अद्भुत शौर्य और पराक्रम से
डटकर शत्रु का पराभव करनेवाले
रणबाँकुरो! तुझे कोटिशः नमन!!
दोस्ती और भाईचारे का राग अलापते
छद्म रूप धर जिसने किया पीठ पर वार
चीन की क्षुद्र कायरता की कुंद कर धार
उन नकाबपोश शत्रुओं पर करके घातक प्रहार
शत्रुओं को पराभूत कर किया अचंभित संसार
अपनी साँसों की चढा बलि किया राष्ट्र उद्धार
शौर्य की अद्भुत गाथा लिखने वाले कर्णधार
राष्ट्र हेतु प्राणोत्सर्ग करनेवाले
गलवान के जाँबाज सैनिको! तुझे कोटिशः नमन!!
बाँहों का हार छोड़ पहना तिरंगे का कफन!
गर्व तेरी शहादत पर! तुझे कोटिशः नमन!!
डॉ पंकजवासिनी
असिस्टेंट प्रोफेसर