शहीदों को नमन


बाहरी दुश्मन से लड़ने को,
है सीमा पर  सैनिक काफी।
लेकिन देश के भीतरी दुश्मन
पाएंगे कब तक माफी ?


कुछ बकवासी उन्मादी जो
बात कर रहे दुश्मन की।
उन पर न कार्रवाई कोई,
क्यों नीति है अपनेपन की ?


ले रहे पक्ष,जो दुश्मन का,
उनको भी दुश्मन माना जाए।
देश के भीतर पल रहे ऐसे,
दुश्मनों को पहचाना जाए।।


इतना कड़ा दंड दो इनको,
जो देखें कांपे थर थर।
भीतरघाती सुधर जाएं,
हो इनको शासन का डर।।


शत शत नमन शहीदों  को
जो सीमा हो गये बलिदान।
जयहिंद, वंदे मातरम् कहता,
नमन कर रहा हिंदुस्तान।।
 * डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर, उत्तर प्रदेश


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