पिता


घर भर की हैं आस पिता।
रहते दिल के पास पिता।।


घेरे  सघन  अँधेरा  जब।
बनते तभी उजास पिता।।


आभा  माँ  के माथे की।
जीवन में मधुमास पिता।।


कर्म  सभी  करना  ऐसे।
ना हों कभी उदास पिता।।


कंटक चुनते  हैं पथ के।
ईश्वर का आभास पिता।।


नेह-प्रेम  आशीष  फलें।
करते  हैं  विश्वास पिता।।


कष्ट  मौन  होकर  सहते।
'अधर' भरें उल्लास पिता।।


   शुभा शुक्ला मिश्रा 'अधर'


Popular posts
गाई के गोवरे महादेव अंगना।लिपाई गजमोती आहो महादेव चौंका पुराई .....
Image
अस्त ग्रह बुरा नहीं और वक्री ग्रह उल्टा नहीं : ज्योतिष में वक्री व अस्त ग्रहों के प्रभाव को समझें
Image
दि ग्राम टुडे न्यूज पोर्टल पर लाइव हैं अनिल कुमार दुबे "अंशु"
Image
दि ग्राम टुडे न्यूज पोर्टल पर लाइव हैं लखीमपुर से कवि गोविंद कुमार गुप्ता
Image
पितृपक्ष के पावन अवसर पर पौधारोपण करें- अध्यक्ष डाँ रश्मि शुकला
Image