परिवार की ज़िम्मेदारी है पिता.....


दुःखों को रोकने वाली चाहरदीवारी है पिता...... 

खुशी और मुस्कान से भरी पिटारी है पिता....

उम्मीदों से लड़ जाए वो प्रहरी है पिता....

मुश्किलों में भी खुश रहने वाला लहरी है पिता.... 

कभी न टूटे वो लड़ी है पिता..... 

परिवार को जोड़ने वाली कड़ी है पिता....

अपने बच्चों के लिए जागीर है पिता...... 

संघर्षों के पथ पर चलने वाला राहगीर है पिता.....

 त्याग और प्रेम की मूर्ति है पिता....

 ज़िंदगी की हर जरूरत की पूर्ति है पिता....

परिवार की धुरी का एक पहिया है पिता.....

 जो कभी रूकता नहीं..... 

रहता हमेंशा चलायमान....

 जो कभी थकता नहीं..... 

दुःख कितने भी हों उस पर.... 

उनको कभी गिनता नहीं..... 

संतान की खुशियों की खातिर..... 

आँखों को कभी नम करता नहीं.... 

पिता वो स्तंभ है..... 

जो संकट की आँधियों में.....

 कभी गिरता नहीं.... 

रह हिमालय सा अडिग.... 

सारे तूफानों से लड़ता वही है..... 

पिता वो धुरी है.... 

जो कभी रूकता नहीं.....!!......

 डाॅ0 अनीता शाही सिंह.....

 इलाहाबाद (प्रयागराज)......

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