है संस्कृति से परिपूर्ण मेरा वतन
है जिस पर न्योछावर हर तन मन
माटी की सुगंध में वो जोश है
मिटा दूँ सर्वस्व एसा मेरा वतन ।
है कर्म और नीति पर चलने वाला
वचनो पर प्राण न्योछावर करने वाला
छला शत्रु ने सादा दिल इसका
करो कुछ एसा मिटे ना मेरा वतन ।
है प्रहार देश पर आज हमारे
पैठ बना बैठा हर चीज पर तुम्हारे
चक्रव्यू उसका अब तोड़ना होगा
माँगता है इंक़लाब मेरा वतन ।
है सस्ता सामान चीन का मानते
किंतु उसका असर कब जानते
ले डूबा उद्योग सारे हमारे
जूझता कठिनाइयों से मेरा वतन।
दी है हमने विश्व को विज्ञान नीति
देश का प्रभुत्व बचाती रणनीति
किसी से कम नहीं हौसला हमारा
हो बहिष्कार चीन का प्यारा मेरा वतन ।
करे हम संकल्प लेंगे देशी उत्पादक
लाना होगा अब देश में स्वदेशी नारा
होगा उन्नत जिससे देश हमारा
हो एकता तो सम्म्भ्ल जाएगा मेरा वतन।
नक़ली सामान हैं ज़हर घोलते
जाने क्या देखे हम आँख खोले
आने वाली पीढ़ी दाँव पर लग रही
जागो अभी गर प्यारा है अपना वतन।
सवि शर्मा “सावित्री “
देहरादून