गीतिका दिवस को समर्पित रही दि ग्राम टुडे की कवि गोष्ठी 04
आकाश गुप्ता
लखनऊ । दि ग्राम टुडे प्रकाशन समूह द्वारा गीतिका दिवस के उपलक्ष्य में, विधा के जन
क श्रद्धेय गुरुवर छन्दाचार्य ओम नीरव जी को जन्मदिन की शुभकामना दी गयी । इस विशिष्ट अवसर पर आयोजित ऑनलाइन काव्य गोष्ठी-4, अत्यंत हर्षमय वातावरण में सम्पन्न हुई। गोष्ठी के गौरवशाली मंच पर अध्यक्ष शिवेश्वर दत्त पाण्डेय, मुख्य अतिथि डा.बिपिन पाण्डेय, विशिष्ट अतिथि मेराज मुस्तफा (न्यूज एडिटर, दि ग्रामटुडे, ) व वरिष्ठ साहित्यकार गोप कुमार मिश्र जी की वरद उपस्थिति से आयोजन अपनी पूर्णता को प्राप्त हुआ। गोष्ठी का सशक्त व प्रवाहपूर्ण संचालन विनय विक्रम सिंह "मनकही" द्वारा किया गया।
गोष्ठी का आरम्भ कवयित्री अर्चना पाठक जी द्वारा माँ वाणी की स्तुति से हुआ। तदनन्तर कवयित्री प्रतीक्षा तिवारी जी की मोहक प्रस्तुति, "चलो आज चलते हैं सपनों के गाँव में,
दो पल तो ठहरो जरा पलकों की छांव में|" की भावविमोहित करती पंक्तियों से माहौल भावज्योति से परिपूर्ण हो उठा। कवयित्री डॉ उषा किरण जी द्वारा प्रस्तुत , "छा रहा चहूँ ओर में, भय का साम्राज्य कैसा!
तिमिर है घनघोर छाया, लूट रहा सौभाग्य जैसा!
हाहाकार सा मच रहा, परिस्थितियाँ भी विकट है !
कौन देता दंड जग को, या प्रलय की घड़ी निकट है?" तथा "है तू खल अति, तेरी आँखें छोटी।
तू कद में नाटा, तेरी नियत खोटी।
तू साँप जैसे आस्तीन में, तेरी लपलपाती जीभ लंबी।
तू कपटी नराधम, है अधम अति और दंभी।" इन पंक्तियों से गहन चिंतनशील अभिव्यक्ति को सबके सम्मुख रखा, कवयित्री कुसुम तिवारी जी द्वारा, "हमको भी मनानी थी
महबूब संग होली
महबूब संग दिवाली
दीपों भरी दिवाली" से मोहक संदेश देकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया, कवि व शायर सुखविंद्र सिंह मनसीरत जी के द्वारा प्रस्तुत, "रचना-तेरे जाने के बाद
जी भर के रोया, तेरे जाने के बाद
मन था घबराया तेरे जाने के बाद
बैचेनियों ने थाम लिया मेरा दामन
दिन रात न सोया,तेरे जाने के बाद" तथा "फ़लक से जमीन पर ये पैगाम लाया हूँ,
तुम जान हो मे रे ,ये पैगाम लाया हूँ,
तेरे आने से यहाँ चार चाँद लग गए,
तुम चाँद हो मेरे ये पैगाम आया है" ऐसी मोहक रचना से सबको अभिभूत कर दिया। कवयित्री अर्चना पाठक जी ने, "गंगा के पावन आँचल में मिट्टी अँगड़ाई लेती है।
पापों से मुक्ति दिलाकर वह निर्मल तरुणाई देती है।
दुष्टों को तारण हार बने दुखियों के आँसू हरती है।
गंदा करते दुनिया वाले पर तनिक नहीं उफ्फ करती है।" इन पंक्तियों से माँ गंगा के लोक कल्याणकारी अदभुत काव्यचित्र संचरित किये, कवयित्री मंशा शुक्ला जी ने, "हाँ इंसान हूँ मै भी,नही बेजान गुड़ियाँ हूँ।" तथा, "नयनन के अभिनय की बात है निराली,
कह गये उनसे वो बात सब पुरानी।" जैसी सन्देशसिक्त कविता से अभिव्यक्ति दी, कवयित्री दीपमाला पाण्डेय जी द्वारा "मैं अक्सर इन आँखों में एक नया ख्वाब बुनती हूं
हर दर्द को सहती हूं फिर भी हँसते रहती हूँ।" के मनमुग्धकारी पाठ से सबको आह्लादित कर दिया व संचालक विनय विक्रम सिंह #मनकही द्वारा पिता जी को समर्पित कविता, "पिताजी" द्वारा,
"कभी चवन्नी कभी अठन्नी,
कम्पट मौज धमाल पिताजी।
गुल्लक की खन-खन के सागर,
बचपन की टकसाल पिताजी।
चाँद को छूने के गुर भरते,
नभ की प्रथम उछाल पिताजी।
होली और ग़ुलाल पिताजी, कपड़ा, रोटी, दाल पिताजी।।" सबको मधुर स्मृतियों से जोड़ दिया। वरिष्ठ साहित्यकार गोप कुमार मिश्र जी द्वारा पठित, गीतिका छंद आधारित गीतिका, "श्वास लय पर शारदे माँ को बसाओ तो सही।
है यही तो यज्ञ -पूजा ,गोप ध्याओ तो सही।।
भावना अभि व्यंजना मे, छंद दोहा सोरठा।
साज निर्झर श्वास लय मृदु गीत गाओ तो सही ।।
गीतिका है कृष्ण गीता, मातृ भाषा मे सृजित ।
चंद्र बिंदी ओम शरणा, गोप आओ तो सही।।" द्वारा गीतिका दिवस के उपलक्ष्य को मनाया गया। समारोह के मुख्य अतिथि डाॅ बिपिन पाण्डेय जी द्वारा प्रस्तुत, "मार भगाता है जो अपने,अंदर के शैतान को।
वही प्राप्त कर पाता केवल,जीवन में भगवान को।।
ध्यान नहीं देती है दुनिया, अंतर्मन की पीर पर,
सुख की सभी कसौटी मानें, चेहरे की मुस्कान को।।" भाव आलोकित सम्प्रेषणा से सबको भावविमोहित कर दिया। आयोजन में विशिष्ट अतिथि मेराज़ मुस्तफा
(न्यूज एडीटर दि ग्राम टुडे प्रकाशन समूह) द्वारा प्रस्तुत, "जरूरत नही कोई परों की, ऊंची परवाज़ के लिए ,हौंसलाअफजाई करते रहो, काफी है इक जाबांज़ के लिए," तथा "छोटी हो या बड़ी, हसरते किसी की गैर मुनासिब पूरी ना करना, ऐ खुदा ,
यह दुनिया है यहां गरीब की गरीबी और अमीरों को गरीब अज़ाब लगता है।" इन पंक्तियों से हर किसी को सोचने पर मज़बूर कर दिया।
गोष्ठी का समापन कार्यक्रम अध्यक्ष शिवेश्वर दत्त पाण्डेय के गीतिका दिवस के उपलक्ष्य में प्रदत्त वरद वक्तव्य व सामयिक परिदृश्य पर प्रस्तुत इन पंक्तियों, "चीन को दे दो चेतावनी मोदी जी,
बहुत कर ली नादानी मोदी जी।।" से सम्पन्न हुआ।