पूनम तिवारी
आठ जून को लॉक डाउन पूरी तरह खुल जायेगा। लोग चिंतित है बोल रहे हैं कि मॉल खुल रहे हैं। मन्दिर ,मज्जिद और गुरुद्वारे भी खुल रहे हैं। अभी ये नहीं खुलने चाहिये थे । सरकार को अब किसी की चिंता नहीं है। जब लॉक डाउन किया गया था तब यही लोग बोल रहे थे कि सबकी रोजी-रोटी बन्द पड़ी है सरकार को किसी की चिंता नहीं मतलब एक सजग नागरिक होने का हम कोई पालन नहीं करेंगे सारा ठीकरा हम सरकार की खोपड़ी में फोड़ेगें।
अरे भाइयों -बहनों किसने कहा धर्मिक स्थल खुलते ही तुम मुँह भरा वहाँ गिर पड़ो जाकर । मॉल खुलते ही ऐसी भीड़ लगा दो मानो सब फ्री मिल रहा और लूटने सबको साथ ही जाना है। अपने ऊपर कोई कंट्रोल नहीं करेगा। अरे मिठाई की दुकान पर जाते हो तो क्या सब एक साथ ले आते हो नहीं न ? कोई एक ही मिठाई जो खानी हो वही लाते हो न ? ठीक ऐसे ही सब खुला रहने दो । कहीं भी जाने के लिये आपको कोई बाध्य नहीं कर रहा। न कहीं जाना अनिवार्य है आप अपनी बेसिक जरूरतों के लिये घर से बाहर निकलें । बेजरूरत सड़कों पर भीड़ मत बढ़ाइये।
अपना नहीं तो अपने परिवार ,अपने देश और अपने श्रमिकों की चिन्ता करिये। दो जून की रोटी क्या होती है । उन कामगारों से पूछिये और याद करिये पिछले ढाई महीनों में किस कदर उनका दर्द महसूस कर हमारी आँखें भी कितनी बार छलकी हैं..कई बार खाना परोस कर वापस रख दिया क्योंकि खाते ही नहीं बना।
लॉक डाउन ने हमें सिखा दिया है कि हमें कोरोना से अपना बचाव कैसे करना है। हम किसी धार्मिक स्थल, मॉल, होटल ,पार्टी ,पार्क कहीं भी नहीं जायेंगे तो भी हमारा जीवन सीमित साधनों में भी उतना ही बढ़िया चलेगा। बस जरूरत है सकारात्मक रहने की। कोशिश करें एक सजग नागरिक होने का पालन करने की। हाथ धोयें ,मास्क पहने ,एक मीटर की दूरी बनायें ।
याद रखिये हाथ पकड़ना नहीं है।
तो साथ भी छोड़ना नहीं है।