इंद्रियां

दस    इंद्रियां    सक्रिय   रहती,
हैं      सदैव      जीवन      संग,
सबके  अपने  -  अपने कार्य हैं,
औ  हैं   अपने   -   अपने   ढंग,
हैं    अपने    -    अपने      ढंग,
सदा   सबका  साथ निभाती हैं,
कहते 'कमलाकर' हैं प्रकृतिसृष्ट,
हैं   जीवन     यही   चलाती हैं।।
   
कवि कमलाकर त्रिपाठी.


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