हर जगह  हो तुम


हर जगह  हो तुम
आँखों के काजल में
मेहंदी,महावर में
पायल की रुनझुन में
चूड़ी की खनखन में
अंगूठी,नकबेसर में
कानों के झाला में
कंगन में बाला में
होठों की लाली में
बालों के गजरे में
गर्दन के मोगरे में
पैरों की बिछिया में
माथे की बिंदी में
चुनरी के आँचल में
दिल के उद्गारों में
अश्रु की धारों में
कलम,रोशनाई में
कागज कविताओं में
मन के हर भावों में
चाहत के घावों में
सारे उपक्रमों की
एक वजह हो तुम
हर जगह  हो तुम

© डॉ०मधुबाला सिन्हा
    


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