गीत


सुख दुख के घरी बा त, ऊपर आसमान बा 
ललकि किरिनिया में साहस के बिहान बा, सुख... 


परबत लेखा हो दुखवा सिरवा टरेला 
सांसतो में साहसी अदिमिया बिचरेला 
हिम्मते खुदा हो बा, हिम्मते भगवान बा, सुख...। 


लेई के चंगलुवा में हारिल उड़े लकड़ी 
अझुराले अपने हो जलवा में मकरी 
फंदा के ऊ तुरी देला जेकरा गेयान बा, सुख...। 


नदिया के धार से किलोल करे मछरी 
जिनगी से हार नाही माने कबो सफरी 
जिनगी जीए के एके ना ढेरे परमान बा, सुख....।


विद्या शंकर विद्यार्थी 


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