दर्द गम से ही।रिश्ता निभाते रहे।
आपकी याद में दिल जलाते रहे।
जिंदगी थम गई आ के किस मोड़ पर
रूठ वो चल दिए हम मनाते रहे।
दर्द की मेरी शिद्दत समझ ना सके
ज़ख़्म दिल का उन्ही को दिखाते रहे।
जिनको रिश्ता निभाना ना मंजूर था।
ख़्वाब नज़रों में उनका सजाते रहे।
इस क़दर उनकी यादों ने बेबस किया
नाम लिख लिख के उनका मिटाते रहे।
जिंदगी कितनी बेजार बेबस लगे।
आज उड़ते परिंदे चिढ़ाते रहे।
जिंदगी कह उन्हें हम बुलाते रहे।
बेवजह फासले वो बनाते रहे।
जो किये ही नहीं उस खता के लिए।
मुझपे इल्ज़ाम हर पल लगाते रहे।
सारे जज़्बात मेरे धुंआ हो गए।
सब्र की लोरी शब भर सुनाते रहे।
जिन्दगी इस क़दर बेवफा हो गई।
उनकी यादों के संग ही निभाते रहे।
#मणिबेन द्विवेदी