भूखा- नंगा जिंदगी के बात संसद में करीं।
आदमी अस आदमी के बात संसद में करीं।।
कइस हो अब देश के कल्याण कुछ सोंचीं तनी।
योजना नयका खुशी के बात संसद में करीं।।
मर रहल बा हर तरफ मजदूर भूखा रोड पर ।
काम दीं इनको हँसी के बात संसद में करीं।।
आज टूटल बा गरीबन पर गरीबी के पहाड़।
कइसे पूरा हो कमी के बात संसद में करीं ।।
अब कबो कवनो तिहारी जाए ना बाहर कहीं।
रोजी - रोटी चाँदनी के बात संसद में करीं ।।
छोड़ के कुर्सी के जौहर देश के सोचीं कबो।
गाँव - घर में रौशनी के बात संसद में करीं ।।
जौहर शाफियाबादी