देशवासियो के नाम -4
आज हमारा देश पिछले 60-65 दिनो से घरो में बन्द पड़ा है। ये आपको बताने की आवश्यकता नही है कि कोरोना जैसी महामारी का प्रभाव दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है । इसी महामारी से बाचाओ हेतु 'लाॅकडाउन' अति आवश्यक था । हमारे देश भारत मे इस 'लाॅकडाउन' को लगातार चलाया गया जिससे कि कोरोना जैसी महामारी के चक्र को तोड़ा जा सके, लेकिन ऐसा नही हुआ ।
अब 'लाॅकडाउन' का दौर समाप्त हो रहा है और (01जून 2020) 'अन-लाॅकडाउन' का शुरुआत हो रहा है। क्योंकि कोविड-19 से संक्रमित लोगो की संख्या की रफ्तार कम नही पाया जा रहा है और मुख्य बात तो ये है कि भारत की अर्थव्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है।शायद इसी को ध्यान में रखकर 'अन-लाॅकडाउन' की घोषणा की गई है। और हा किया भी जाना चाहिए ।
"क्योंकि तबाही से पहले मंजर पर पहुंचा जाना चाहिए"
लेकिन किया भी क्या जा सकता अब काफी देर जो चुका है ।
आज जिस रफ्तार के साथ कोरोना का संक्रमण फैल रहा है ये कहना बहुत ही मुश्किल है कि हम इस महामारी से जल्दी ही छुटकारा पा-लेगे। इस महामारी से हमे तब-तक निजात नही मिलेगी जब-तक कोई कारगर दवा या वैक्सीन की खोज नहीं हो जाती ।
हम कह सकते है कि किसी भी सरकार के लिए इससे बड़ी समस्या कुछ नही हो सकता है। एक तरफ कल कारखाने बंद,कामगार मजदूरो वापस घर जाने के लिए व्याकुल हो रहे,कही लोग भूखमरी का शिकार हो रहे है तो कही भूखे-प्यासे 1000km.की यात्रा नंगे पैर तैय कर रहे है।चारो तरफ सिर्फ मौत ही दिखाई पड़ रही है।आशा की किरण दूर-दूर तक नज़र नही आ रहा है ।इसपर हमे महाकवि कुमार विश्वास सर की एक पंक्ति याद आती है ।
"अंधकार चाहे गहरा हो,सात समंदर पार हो।
सदा उजाला विजित हुआ है,सत्य अगर आधार हो।"
तो हम यह जरूर कह सकते है कि एक न एक दिन हम आवश्यक विजयी होंगे।
संक्षिप्त परिचय ........
✍️ कुमार रतन
अधिकारिक नाम -रत्नेश कुमार
छात्र -इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज