डॉ०जौहर शफियाबादी
भोजपुरी गद्य साहित्य के नया दशा-दिशा प्रदान करे वाला भोजपुरी के पहिला उपन्यासकार पंडित रामनाथ पांडेय जी जे भोजपुरी के आपन पूरा जिंदगी के ओढ़ना-बिछवना बना के मान-सम्मान बढ़वनी आ हमनी भोजपुरिया लोगन के उत्साह आ नया हौसला देनीं।
भोजपुरी खातिर जिला भर के सब कवि - साहित्यसेवी लोग के एकजुट करके भाई रामसुमेर सिंह काका का माध्यम से सब का लगे चिठ्ठी भेजवाईं सब लोग के सिखाईं सबका के बताईं ओह सबलोग में हमहूँ रहीं जे हर महीना रतनपुरा छपरा जरूर जाईं।
उहाँ के लिखल भोजपुरी भाषा -साहित्य के धरोहर में जहाँ भोजपुरी गध साहित्य के नव जागरण बा उहवें सामाजिक चेतना आ समरस सामाज के सजग कल्पनो बा ।
उहाँ द्वारा विरचित भोजपुरी के मानक धरोहर ।
1:- बिंदिया (भोजपुरी के पहिला उपन्यास)
2:- नवनिहाल ( भोजपुरी के पहिला बाल पत्रिका)
3:- इमरीतिया काकी
4:- महेन्द्र मिसिर.
5:- सतवंती
6:- जिनगी के राह
7:- आधे-आध
8:- कसउटी (भोजपुरी आलोचना के पहली पत्रिका सम्प,)
भोजपुरी कथा साहित्य के ऊ संवारे वाला महापुरुष आज हीं का दिन 16 जून 2006 के हमनी का बीच से चल दिहनी।
आज हमार लोराइल आँख आ घवाहिल दिल उहाँ के नेह - स्नेह आ उत्साहवर्धन के याद कर-कर के सावन भादो बनल बा।
रामनाथ पांडेय खाली एगो भोजपुरी के पहिला उपन्यासकारे ना रहनी बलुक एगो भोजपुरी माई के सच्चा सपूत आ अपना मातृभाषा के ज्योति जगावेवाला महान संगठनकरर्तो रहनी। एक ओर कलम के कमाल रहे त दूसरा ओर अपना माई भाषा के जगावे के हूँकारो भरेवाला स्वर रहे।
भोजपुरी साहित्य जागरण के वह अग्रदूत पं. रामनाथ पांडेय जी के नमन शत-शत नमन। खेराजे तहसीन देत आज उहाँ के पुण्यतिथि 16 जून 2006के श्रद्धाजंली।