ऐ मेरी खामोश सी खामोशियो
तू इतना चिल्लाया ना कर
कौन है सुनने वाला
तू इतनी जहमत उठाया ना कर
हर वक्त अपने ज़ख्मों को
एहसास के कोरे पन्ने पर सजाया ना कर
बहरे हैं सभी हुक्मरान यहां
तू जाकर फरियाद लगाया ना कर
पलकों के किनारों से छलकता पानी
कहता है बस
तेरे दर्द की कहानी
मुद्दत हो गई तुम्हें समझाते
यूं मुझे हर वक्त आजमाया ना कर
बेगैरत से हो गये हैं इंसान यहां
तू पास जाकर
अपना खूं जलाया ना कर
किरण
✍🏼 ✍🏼 स्वरचित