बादल फिर घिर आए
स्मृति घन कुछ छाए ।
मधुबन साँसो का बौराया
उमड़ी फिर बरसात
भीगें नैना बरखा में
भींगा आँगन का नवजात
विरहन की पलकें भींगी
स्मृति घन कुछ छाए ।
बादल फिर घिर आए---2
क्षितिज पर चमकी बिजली
श्यामल उड़ते बादल
नभ के नयना भी छाए
मन में जागी हलचल
विरहन के मन में भी
स्मृति कण अकुलाए ।
बादल फिर घिर आए ---2
अंतर की उमड़न को देख
टपटप बरसा बादल
नभ की पलकें भींगो
भींगो धरती कोमल
विरह के नयनों में
तब जलकण भर आए ।
बादल फिर घिर आए ---2
*अनिता मंदिलवार सपना*
अंबिकापुर सरगुजा छतीसगढ़