अपने 3 वर्ष के कार्यकाल में अमिट छाप छोड़ी है ईओ एस पी जोशी ने

टिहरी चंबा (आफताब खान ) : तीन वर्ष पहले टिहरी जिले की चंबा निकाय को उत्तराखंड में इतनी प्रसिद्धि नहीं मिली जितनी  इन  तीन वर्षों में मिली है पालिका द्वारा इन  तीन वर्षों में उपलब्धियां और प्रसिद्धि के तमाम आयाम को तोड़ दिया गया है चाहे वह सेनेटाइजेशन में हो और चाहे अन्य प्रशासनिक कार्य में हो. पालिका अन्य निकायों में 20 ही साबित हुई है उत्तराखंड की शहरी निकायों में लोकप्रिय अधिशासी अधिकारी एसपी जोशी की  तमाम सर्विस मैदानी क्षेत्रों में ही रही है अपने कुशल प्रशासनिक क्षमता और मधुर व्यवहार से सबका दिल जीत लेते हैं चंबा एक ऐसा निकाय था जहां नगर के बीचो बीच 40 वर्षों से लोगों का कूड़ा डाला जा रहा था ၊ अधिशासी अधिकारी एसपी जोशी  के प्रयासों और  निर्वाचित जनप्रतिनिधियों  के सहयोग से उस पर व्यवस्था बनाई गई जो क्षेत्र के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी. कार्यालय में एक सिस्टम तैयार किया गया और प्रत्येक पटल पर कंप्यूटर की व्यवस्था कराई गई,  कार्यालय में डिसिप्लिन लागू किया गया कार्यालय का विस्तार का काम भी गतिमान है रैन बसेरा बनवाया गया , रिकॉर्ड रूम तैयार करवाया गया. भारत सरकार के स्वच्छता सर्वेक्षण में भी नगरपालिका चंबा प्रदेश में अंडर 20 और फिर अंडर 07 में रही. रात को और प्रातः काल में लगातार छापे मारकर खुले में शौच करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई की गई और पालिका को ओडीएफ घोषित करवाया गया और 3 वर्ष बाद पालिका चंबा को उत्तराखंड प्रदेश में प्रथम ओडीएफ प्लस होने का गौरव भी प्राप्त हुआ. इस कारण प्रदेश के कबीना मंत्री मदन कौशिक एवं लोकप्रिय आईएएस सचिव शहरी विकास विभाग शैलेश बगोली द्वारा इन्हें व्यक्तिगत तौर पर बधाई दी गई थी विगत वर्ष चार धाम यात्रा के दौरान पालिका के चार धाम रूट पर साफ सफाई की चाक-चौबंद व्यवस्था एवं अच्छे श्रद्धालु पोस्टर तथा led स्क्रीन लगाए जाने से प्रभावित होने पर तत्कालीन आयुक्त वीवी पुरुषोत्तम आईएएस द्वारा इन्हें प्रशस्ति पत्र से भी नवाजा गया था जो उनके केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर चले जाने के कारण अपर आयुक्त के द्वारा पौड़ी  आयुक्त कार्यालय में प्रदान किया गया 
 इनके नाम नगर में सेप्टेज मैनेजमेंट सिस्टम तैयार करने की उपलब्धि भी जुड़ी हुई है जिससे उत्तराखंड के शहरी विकास विभाग द्वारा *केस स्टडी* के रूप में शीघ्र ही भारत सरकार को भेजा जाने हेतु शहरी विकास विभाग के एक्सपर्ट द्वारा इनसे डिटेल मांगी गई है बताना है कि पालिका क्षेत्र में पूर्व में ऋषिकेश से सीवर टैंक  किराए पर लाए जाते थे और वह 20000 से 25000 में शिवर् पिट खाली करते थे और उस शिवर को यहां -कहीं  नालो /गजरो आदि में डाल देते थे इसे देखते हुए उक्त अधिकारी द्वारा सीवर टैंकर  & ट्रैक्टर  को पालिका बोर्ड से सहमति बनाकर सिस्टम तैयार किया और तत्कालीन जिलाधिकारी सोनिका आईएस के माध्यम से उत्तराखंड जल संस्थान से समन्वय स्थापित करते हुए सीवर के फिकल को उनके एसटीपी केंद्र में ट्रीटमेंट के लिए एक सहमति लिखित में बनाई गई और इस प्रकार पालिका क्षेत्र में शुल्क लेकर सेप्टेज फिट खाली करना और ट्रीटमेंट जिसका शुल्क भी जल संस्थान को दिया जाता है देकर ट्रीटमेंट कराया जाता है जिससे पालिका को अल्प समय में 431500 रुपए की आय भी हो चुकी है၊
कोरोनावायरस के विरुद्ध अभियान में पालिका चंबा की कार्रवाई निखर कर सामने आई थी और जनपद में सबसे पहले पालिका चंबा के CORONA  warriors को मुख्य मार्केट में व्यापार मंडल तथा आम नागरिकों द्वारा भारी जनसमुदाय के साथ सम्मानित किया गया था इनके द्वारा धरासू रोड पर 40 वर्षों के एकत्र garbage के उठान के लिए भी व्यवस्था कराई गई थी जिसमें से 160 बड़े ट्रक ट्रीटमेंट के लिए जनपद से बाहर भेजे गए थे परंतु उसके बाद बजट का अभाव होने पर यह कार्य रोका गया था आज भी लगभग 3500 mt garbage ट्रीटमेंट के लिए भेजा जाना शेष है. जिसे इस अधिकारी के रहते ही निस्तारण की उम्मीद बनी हुई है. पालिका टिहरी और चंबा में गार्बेज निस्तारण की समस्या कई वर्षों से रही है इस अधिकारी के 3 वर्षों के कार्यकाल में पालिका चंबा और टिहरी को दो स्थानों पर भूमि का आवंटन जिला प्रशासन के माध्यम से कराया जा चुका है. और माननीय विधायक जी के सहयोग से  5.23 जीडीपीआर  भी स्वीकृत हुई है.
उक्त अधिकारी से वार्ता करने पर उनके द्वारा बताया गया कि यदि यह प्रोजेक्ट अस्तित्व में जल्दी आता है तो  पूरे क्षेत्र के लिए  यह अच्छी  बात होगी और  गार्बेज के निस्तारण से पर्यावरण पर भी संतुलन होगा चंबा पालिका क्षेत्र में  बच्चे जवान बुजुर्ग के लिए लोकप्रिय बने हुए इस अधिकारी द्वारा अपने को quarantine period में भी मालू के पत्तों से खाना बनाने के लिए  बर्तन  बनाने का कार्य कर , एक प्रेरणा क्षेत्र के लोगों में  छोड़ी गई थी जिस पर भी क्षेत्रीय तथा जनपद के लोगों ने काफी सकारात्मक प्रतिक्रियाएं व्यक्त की थी
 उनके द्वारा यह भी कहा गया कि वह अब इस क्षेत्र से स्थानांतरण चाहते हैं. या किसी अन्य विभाग में डेपुटेशन पर जाना चाहते हैं जहां बुजुर्गों के उत्थान का कार्य किया जा रहा हो.
वास्तव में इस अधिकारी द्वारा अपने 3 वर्ष के कार्यकाल में इस क्षेत्र में अमिट छाप छोड़ी है और नगरपालिका चंबा को स्थान पर ले जाने का कार्य तो किया ही है क्षेत्र के नौजवानों के लिए भी प्रेरणा के स्रोत बने हैं ၊


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