वो या हूँ मैं

 



लगी आज होड़ बादल से कि दीवाना वो या हूँ मैं
जानएजाँ की ख़ुशी पे दिल लुटाता वो या हूँ मैं


मोहब्बत के फ़साने को गा रहा वो या हूँ मैं
ज़िंदगी गैर को अपना बना रहा वो या हूँ मैं


दिल के तार को दिल तक जोड़ता वो या हूँ मैं
जमाने को प्यार करना सिखलाता वो या हूँ मैं


रुमानी शायरी दिल से छेड़ता वो या हूँ मैं
प्यार को बेशुमार करके निभाता वो या हूँ मैं


गैरों में भी अपनापन ढूँढ लेता वो या हूँ मैं
स्नेह की अनगिनत दौलत लुटाता वो या हूँ मैं
~अतुल पाठक 
 जनपद हाथरस 
  (उत्तर प्रदेश)


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