प्रेम

 



व्यंग्य


प्रेम प्रेम करें ,सब अभिमानी
प्रेम रूह,प्रेम जिस्मानी।
प्रेम निशानी ,प्रेम नादानी,
प्रेम कविता,प्रेम कहानी।


प्रियतम नहीं किसी का एक,
ना एक प्रिय, ना प्रियतम एक।
फेसबुक,ट्विटर वटस ऐप देख,
मिल जाते सभी जगह दिलफेंक।


सजनी साजन प्रेम करें,
जीवन न्यौछावर है देख।
अलग अलग राहों पर,
उसका एक,उसका भी एक।


जिस्मानी प्रीत सजना अलोप,
बलोक का उसपर हुआ प्रकोप।
सजनी भी पांव धुले साजन के,
ढूंढते रिश्ते में बचा स्कोप।


अविश्वास का सांप डसा,
वो उधर,ये इधर फंसा।
दोनों ने पकड़े फिर कान,
मैं थारो संईंया,तू म्हारो जान।


भंवरा,तितली सब उड़ जाते,
नयी शाख पर घर बसाते।
ऋतु में मेंढक निकल आते,
ऋतु गई, नज़र ना आते।


फिर वही पानी,वही तालाब,
लौट आओ,ना जाओ जनाब।
वो मधुमक्खी जो तुमको काटती,
देखो बस तुम उसीके ख्वाब,


वहीं नशा ,वही शराब,
कबाब से होगा पेट खराब।
दाल खाकर करो गुजारा,
वरना मुंह की खाओगे जनाब।


कौशल बंधना पंजाबी


नंगल डैम पंजाब


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