प्रेम अनुभूति 


दो बूँद  बारिश  सा है प्यार
कहीं  मिले तो कहीं इंकार


बादल  जैसे   बनै  नभ  में
दिल से उमड़ता है ये प्यार


पल में मिले पल में बिखरे
हवा के झरोखे सा है प्यार


पाक,साफ,पावन एहसास
श्वेत मोती  सा होता  प्यार


अग्नि परीक्षा सा है कठिन
अंगारों  पर पलता है प्यार


कहीं  बरसे  तो कहीं गरजे
बरसात सा  होता  है  प्यार


मिल जाए   तो सुकून भरा
ना मिले तो  दर्द  भरा प्यार


इंकार से इकरार तक डगर
तकरार  भरा होता है प्यार


संयोग में होता सुखदायक
वियोग में दुखद होता प्यार


भावों से भरा है दिल मंदिर
दीये की लौ सा होता प्यार


सुखविंद्र प्रेम सा नहीं भाव
भावुकतापूर्ण होता है प्यार
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत


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